Sunday, April 15, 2007

मैं अब मरती हूँ ...आखिरी किश्त

चौथे से आगे ...
यह आधी रात का वक़्त रहा होगा और वह इतनी रात को मुझे कभी भी फ़ोन नही करती थी . मैने ये सारी बातें उसी समय बॉस को फ़ोन करके बताईं और यह भी बताया कि वह काफ़ी बहकी बहकी बातें कर रही है . बॉस ने उससे बात की , फिर मुझे वापस फ़ोन किया और कहा कि तुम व्हस्की पीकर बैठे हो तभी तुम्हे ये सारी बातें सूझ रही हैं . ख़ैर दूसरे दिन प्रियंका ने मुझे सवेरे फ़ोन करके बताया कि वह ठीक है . हालाँकि उसने रात मे भी बॉस के फ़ोन के बाद मुझे फ़ोन करके कहा भी था कि मैं ये सारी बातें बॉस को क्यो बताईं . लेकिन मैं अपनी ज़िम्मेदारी से नही बच सकता था . इतना सब हो जाने बाद मैं काफ़ी परेशान हो गया . उस दिन मेरा एक न्यूज़ चेनल मे मेरा इंटरव्यू भी था , सो मैं सबके साथ वहा चला गया . वहाँ हम लोग एक पार्क मे बैठ कर अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे कि तभी उसका फ़ोन आया . उसने मुझे बताया कि वह लक्ष्मी नगर मे है और शराब ख़रीदने जा रही है . मैं समझ गया कि अब ये लड़की कुछ कर के रहेगी . मैने उसे फ़ोन पर बहुत समझाया . इसी बीच उसने बॉस से अपने संबंध होने कि बात क़बूल की . तब तक हमारी बस इतनी ही बात हो पाई . लौटते हुए हम सारे ही लोग इतना ज़्यादा थक गाये थे कि सभी ने अपने अपने फ़ोन साईलेंट मोड़ पर डाले और खाना खाकर सो गये . दूसरे दिन जब मैं सवेरे सोकर उठा तो देखा कि तड़के 4 बजे उसकी 4 मिस काल पड़ी हुई थी . मैने सोचा कि अभी तो वो सो रही होगी इसलिए मैने तुरंत उसे फ़ोन नही किया . तक़रीबन 9 बजे के आसपास मैने उसे फ़ोन किया लेकिन मुझे कोई जवाब नही मिल पा रहा था . मेरा मन किसी अनहोनी की आशंका से कांप उठा . मैने कई बार उसका फ़ोन ट्राई किया लेकिन कोई रिसपोंस नही मिल रहा थ . काफ़ी डरते हुए मैने पता लगाने की कोशिश की तो ये पता चला कि वह हॉस्पिटल मे है . मैं समझ गया , वो जो कह रही थी , उसने कर दिखाया . फिर दूसरे दिन उसका फ़ोन हॉस्पिटल से आया और उसने मुझे बताया कि उसने तक़रीबन 35-40 नींद की गोलियाँ खा लीं थी. उसी के साथ मुझे पता चला कि उसने कई लोगों से उधार भी लिया था . एक बार उसने मुझे बताया भी था कि उसके उपर काफ़ी उधारी भी हो गयी थी . अब उसे इतने ज़्यादा पैसों की ज़रूरत क्यों पड़ती थी यह तो वही जाने लेकिन जो बात मैं जानता हूँ , उसका ख़ुद का ख़र्च 4-5 हज़ार से ज़्यादा नही था . ज़ाहिर है यह पैसे वह किसी को देती थी . शायद उसका बॉयफ़्रेंड .....
गिद्ध उसके शरीर को ही नही बल्कि उसके मन को भी लगातार नोच रहे थे .. और ये ज़िल्लत वह बर्दाश्त नही कर पाई , मुझे भी उसके बच जाने का दुख हुआ ..काश वो मर ही गयी होती .. हालाँकि अब भी उसके फ़ोन आते हैं और मैं हर बार उससे वादा लेता हूँ कि अब वो दफ़्तर कभी नही जाएगी .. कम से कम बॉस से तो कभी नही मिलेगी ...
एक बार उसने मुझे बड़ी ही मासूमियत से पूछा कि क्यो ना वो बॉस से मिले तो मैने कहा कि तू ख़ूब जानती है कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हू...तब उसने हामी भरी कि
...हाँ ...मैं जानती हूँ कि तू क्यों ऐसा कह रहा है ...
और अंत में ...
आजकल वह कुछ ख़ुश दिखाई देती है ..कहती है कि उसने ग़लत किया .. उसके घर वाले उसे बहुत प्यार करते हैं ..लेकिन मैं जानता हूँ और हर बार उससे बात करने वक़्त महसूस करता हूँ .. कि वो ...वो अब नही रही ..
समाप्त

2 comments:

Divine India said...

यह परिदृष्य जो आपने दिखलाया है…सच-सच और एकदम Naked Truth है…ऐसे ही आम नारियों की भी हालत है जो अपने महत्वाकांक्षा के कारणत: ऐसे दलदल में फंसती जाती हैं और अंत में जब मानसिक संतुलन और आवृति हिलने लगती है तो यही कदम उठाती है।

Anonymous said...

Aw, this was a really nice post. In idea I would like to put in writing like this additionally - taking time and actual effort to make a very good article… but what can I say… I procrastinate alot and by no means seem to get something done.