Sunday, April 15, 2007

वो तो मुसलमान है !

हिंदू होने के फायदे - ३



बहरहाल जब मैं, संजू, अप्पू,और कल्लू शाखा वाले मैदान में पहुचे तो वहाँ पर तबरेज़ और गुड्डू पहले से ही मौजूद थे। थोड़ी देर में अगम और पतारू भी गए। अब हम लोगों की गहन मंत्रणा शुरू हो गयी। अगले दिन अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा थी। इस परिक्रमा का हम लड़कों मे काफी क्रेज था। हम लोग इसमे आगे चलती लड़कियों को ठुद्दे मारते चलते। परिक्रमा का नाम सुनकर घम्मड़ पहले ही अलग हो गया। कहने लगा कि तुम लोग सरयू मे जरूर नहाओगे और अगर किसी को पता चल गया कि मैं कौन हूँ , तो बड़ा बवाल हो जाएगा। लेकिन कल्लू और तबरेज़ से गहरी यारी थी सो हम लोगों ने उन्हें साथ मे चलने के लिए राजी कर लिया । ड्म्पू के घर में तब एक किरायेदार रहते थे और उनकी छोटी वाली लडकी मुझे अच्छी लगती। मैं अक्सर अगम की दुकान पर बैठकर उसे देखा करता। वह भी परिक्रमा करने जा रही थी और इसकी सूचना मुझे अपने गुप्त स्रोतों से पहले ही मिल चुकी थी । बहरहाल शाम को इस निर्णय पर सभा विसर्जित हुई कि पतारू और मैं सवेरे चार बजे तक उठकर पांच बजे तक सबको इकट्ठा करेंगे और कल्लू तबरेज़ और संजू को जगाते हुए अगम की दुकान के सामने सवेरे पांच बजे तक पहुंच जाएगा।


रात मे खाना खाने के बाद मैं अगम की दुकान के सामने आकर खड़ा था। थोड़ी देर मे पतारू और कल्लू वहाँ पंहुचे। अब वहाँ पर हम चार यार थे और ड्म्पू के घर वाली लडकी के कारण मैं ज्यादा लोगों को अपने साथ नही ले जाना चाहता था। मैंने ये समस्या पतारू के सामने रख्खी तो उसने बाक़ी दो को राजी कर लिया। अब तय हुआ कि कल हम चार लोग ही परिक्रमा करने जायेंगे । यानी कि मैं , पतारू , कल्लू और अगम। सवेरे मैं तब सोकर उठा जब कल्लू और पतारू धीमे धीमे मेरे गेट पर मुझे आवाज़ दे रहे थे। बिस्तर से निकल कर पिछले कमरे मे गया तो देखा बाबू और अम्मा दोनो ही परिक्रमा जाने के लिए तैयार हो गए थे। उन्होने मुझसे अपने साथ चलने के लिए पूछा तो मैंने कहा कि मैं कल्लू और पतारू के साथ जाऊंगा। अचानक अम्मा भड़क गयीं। कहने लगीं कि कल्लू परिक्रमा करने क्यों जा रहा है ? वो तो मुसलमान है । तब बाबू ने उन्हें चुप कराया। बोले इनको यह परिक्रमा करना अच्छा लगता है और कल्लू वैसे भी हमेशा साथ मे ही रहता है। अगर ये अपने दोस्तो के साथ जाना चाहता है तो जाने क्यों नही देती ? और फिर मुझे दस रुपये दिए और बोले कि जाओ। मौज करो।
(जारी ....)

1 comment:

Bhupen said...

बचपन पर होने वाले धार्मिक-अधार्मिक आक्रमणों की याद दिला दी. जारी रखो गुरु.