Wednesday, August 12, 2009

भूपेन याद हैं ?

भूपेन याद हैं आप सबको ? नही? जाहिर है कि ब्लॉग जगत मे पहली बार समानता का परचम लहराने वाले भूपेन और समानता की वकालत का नतीजा भुगत चुके भूपेन अपनी ब्लॉग जगत पर कम हलचल की वजह से शायद ब्लॉग जगत मे भुला दिए गए हों, लेकिन मैं नही भूल सकता। और जिसे करने मेमुझे अभी बार बार सोचना पड़ता है, उन्होंने कर के दिखा दिया। उनके बारे मे अक्सर लोग फोन पर या किसी और माध्यम पर मुझसे सवाल किया करते हैं। जैसे कि भूपेन आजकल कहाँ हैं, क्या कर रहे हैं। दरअसल पिछले कई महीनों से वह काफी परशान चल रहे थे- नौकरी और जिन्गदी, दोनों से। उनके बारे मे याद है मुझे कि कई लोगों ने मुझसे कहा कि भूपेन कुछ अन्तर्मुखी व्यक्तित्व के तो नही लगते। मैंने कहा नही, मुझे तो वो ऐसे नही लगते। सिनेमा हो या कहानी, राजनीति हो या थियेटर - किसी भी विषय पर उनसे बात कर लीजिये, कई सारी नई जानकारियां मिलेंगी। ज्यादातर लोगों को पता होगा कि भूपेन इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकार हैं। लेकिन अब ऐसा नही है। मीडिया जगत की हंस नुमा कहानियों के किसी नायक की तरह उन्होंने इस दुनिया को न अलविदा करने का पूरा मन बना लिया बल्कि उन्होंने पत्रकारिता जगत को अलविदा कर दिया है.... पिछले कुछ सालों मे उनसे मेरी वाकफियत के दौरान मैंने जितना उन्हें जाना है, उसके मुताबिक ये काम तो उन्हें कई सालों पहले कर लेना चाहिए था, लेकिन अब जाकर किया है, तो अब भी अच्छा ही है। आज तक हमारी जब भी मुलाकात हुई, उन्होंने मुझसे हमेशा ही कहा कि काश उन्हें कही पढ़ाने को मिल जाए। पढाना भूपेन का सपना था और अब हकीकत मे बदल रहा है। इस सपने को पूरा करने मे मेरा मानना है कि उनके दफ्तर , उनके कामकाज का भी बड़ा हाथ रहा है। पिछले कुछ दिनों से वह मुझसे लगातार कह रहे थे कि अब दफ्तर मे काम करना आसान नही रह गया है। पिछले महीने मिले तो बुरी तरह मानसिक रूप से थके हुए। (भूपेन के मानसिक रूप से थके होने पर भी हमने कितने मजे किए, वो किस्सा बाद मे ) तब भी उन्होंने यही इच्छा जाहिर की थी। भूपेन अपने सपने को आंशिक रूप से साकार करने मे कामयाब हो गए हैं, फिलहाल आई ई एम् सी मे पढ़ा रहे हैं। रोज सुबह ऑन लाइन उनसे जब बात होती है तो अब भूपेन यह नही कहते कि काश पढाने को मिल जाता.....भूपेन कहते हैं कि बच्चे इन्तजार कर रहे होंगे... वैसे भूपेन जैसे पत्रकार का जाना पत्रकारिता जगत के लिए काफ़ी नुकसानदायक है। भूपेन को जितना मैं जानता हूँ, उनके जैसे पत्रकार पत्रकारों मे उँगलियों पर गिने जा सकते हैं। ये पत्रकारिता जगत की खामी रही की ये जगत उन्हें संभल नही पाया, खो दिया।

2 comments:

Unknown said...

सर आपने जो कुछ भी भूपेन जी के बारे में बताया उससे हमें उनके बारे में औऱ जानने की उत्सुकता औऱ बढ़ गई है। कृप्या करके आप भूपेन जी के बारे में हमें औऱ बताने का कष्ट करें.....हम मीडिया लाईन में नए है इस लिए भूपेन जी के बारे में कुछ भी नहीं जानते है....

माफ किजिएगा......
निष्ठा

NISHTHA said...

सर आप ने जो कुछ भी भूपेन जी के बारे में आपने ब्लाग में लिखा है उसको पढ़ के हमें भूपेन जी के बारे मे और जानने की इच्छा औऱ बढ़ गई है।क्योंकि हम मीडिया के क्षेत्र में नए है इस लिए उनके बारे में औऱ कुछ जानने की इच्छा हो रही है।
कृप्या उनके बारे मे औऱ बताने का कष्ट करें।

निष्ठा