Saturday, November 29, 2014

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (14)

प्रश्‍न- आपने ये नारंगी टोपी कबसे पहननी शुरू की?
उत्‍तर- इसी साल से। ये तो ट्रेंड में है।
प्रश्‍न- नहीं, मेरा मतलब है कि पहले तो आप पहनते नहीं थे, कि‍सी ने नहीं पहनी, फि‍र ये अचानक कैसे बदलाव आया?
उत्‍तर- अरे इसी साल से। देखा नहीं इलेक्‍श्‍न में नमो नमो हो रहा था
प्रश्‍न- बता सकते हैं कि ये टोपी का ट्रेंड कबसे शुरू हुआ?
उत्‍तर- गांधी जी के वक्‍त से
प्रश्‍न- गांधी जी टोपी पहनते थे?
उत्‍तर- लो... अब इस चूति‍ये को यही नहीं पता?
प्रश्‍न- और कि‍स कि‍स ने टोपी पहनी है?
उत्‍तर- भगत सिंह ने भी पहनी थी एक बार टोपी। हमारे भगवान ने भी पहनी थी टोपी
प्रश्‍न- भगवान राम?
उत्‍तर- नहीं, वो तो पहले वाले थे। अब तो सब नमो नमो है।
प्रश्‍न- आपको नहीं लगता कि आपके भगवान ने ही आपको टोपी पहनाई है?
उत्‍तर- बि‍लकुल। ये उन्‍हीं की टोपी है। जीआईसी में वो उछाले थे तो हम लपक के लोक लि‍ए थे।
प्रश्‍न- कि‍तनी टोपि‍यां उछालीं थीं आपके भगवान ने?
उत्‍तर- बहुत... सैकड़ों तो रही होंगी
प्रश्‍न- टोपी पहनने के बाद आपको कैसा लगता है?
उत्‍तर- टोपी हमारी शान है, भगवा हमारी जान है।
प्रश्‍न- और ति‍रंगा?
उत्‍तर- क्‍या ति‍रंगा?
प्रश्‍न- मतलब राष्‍ट्रीय ध्‍वज वो आपके लि‍ए क्‍या है?
उत्‍तर- राष्‍ट्रीय ध्‍वज सिर्फ भगवा झंडा है, और कुछ नहीं
प्रश्‍न- क्‍या आप ति‍रंगे को राष्‍ट्रीय ध्‍वज नहीं मानते हैं?
उत्‍तर- तुम्‍हारी बीवी झारखंडी वाले अहाते में क्‍यों जाती है?
प्रश्‍न- तो आप भगवा झंडे को ही राष्‍ट्रीय ध्‍वज मानते हैं?
उत्‍तर- हां। वो हिंदू राष्‍ट्र का प्रतीक है। हमारे सारे साधु संत भगवा ही धारण करते हैं। भगवा वि‍कास का भी प्रतीक है।
प्रश्‍न- पर आपके नागा साधू तो कपड़े ही नहीं पहनते?
उत्‍तर- वो पवि‍त्र होते हैं। हम उनके लिंग को अपनी आंखों से लगाते हैं।
प्रश्‍न- जैन सफेद पहनते हैं, सिख नीला पीला पहनते हैं?
उत्‍तर- तुम्‍हारा लड़का पहलवान के यहां परसों समोसा लेने आया था। पहलवान ने उसे लस्‍सी और गुलाबजामुन भी खि‍लाया।
प्रश्‍न- अगर  इन लोगों ने भगवा राष्‍ट्रध्‍वज का वि‍रोध कि‍या तो?
उत्‍तर- नहीं करेंगे। नमो नहीं ये आंधी है
प्रश्‍न- फिर भी, अगर कर दि‍या तो?
उत्‍तर- तो जैसे गुजरात से भगाया है, वैसे यहां से भी भगा देंगे
प्रश्‍न- आप तो 26 जनवरी या 15 अगस्‍त को बाइक पर ति‍रंगा लगाते हैं?
उत्‍तर- करना पड़ता है। अभी बहुत लोग नासमझ हैं
प्रश्‍न- नासमझ मतलब?
उत्‍तर- भोले हैं लोग। दूसरे लोग बहका लेते हैं
प्रश्‍न- दूसरे लोग कौन?
उत्‍तर- अरे यही कटुआ मुलायम और ह***** मायावती
प्रश्‍न- इसे कैसे रोकेंगे?
उत्‍तर- जब तक ठोंकेंगे नहीं, तब तक कोई बाप नहीं कहेगा
प्रश्‍न- मतलब आप हिंसा करेंगे?
उत्‍तर- तुम अपनी बीवी को पीटते थे ना?
प्रश्‍न- पर ति‍रंगा तो कानूनन घोषि‍त है?
उत्‍तर- यार पांड़े... तुम इतना कानून काहे चो**** हो। बदल लेंगे। अब अपना राज है
प्रश्‍न- और क्‍या क्‍या बदलेंगे?
उत्‍तर- आओ, आज देखो पहलवान स्‍पेशल सेव बनवाए हैं।
प्रश्‍न- मेरा आज मूड नहीं है
उत्‍तर- अमे बैठो ल**** की। लो चि‍यर्स करो

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