Sunday, November 23, 2014

रोटी नाही राम भजा हो तब तौ आए नरमी...

जौ जेब ना होवै एक्‍को पइसा
हाथे ना फूटी कौड़ी
पेट करौवय, रहि रहि बोलय
भूख से दौड़ा दौड़ी।

भूख से दौड़ा दौड़ी कि केहू
दै दे एक्‍को दाना
दाना खाय के पीके पानी
चलौ सुनाई गाना।

चलौ सुनाई गाना कि सगरे
देश मा भुक्‍खड़ बाटे ओलरा
भूख पि‍यास मा मरत वै बाटे
कंबरौ फाट के होइ गै झलरा।

कंबरौ होइ गै झलरा कि
कइसे नवका ओढ़न आवै
पेटवा के आग बुझै पहि‍ले
तौ साटन बाटन जावै।

साटन के चक्‍कर मा तौ
रोजै लागै लंबी लाइन
रोटी मांगेन तो नेता जी
कइसे तो समझाइन।

पूरनमासी का जब दि‍खै
पूरी गोल यक रोटी
तब समझो कि मि‍लै हि‍यां पे
तुमका ओकै बोटी।

ओकरे पहि‍ले मंगबा तौ
तू अहा बहुत बि‍धर्मी
रोटी नाही राम भजा हो
तब तौ आए नरमी।

औ कहूं भूलके मांग लि‍हा हो
भइया आपन हि‍स्‍सा
काल कराल के करि‍या वाला
सुरू होए फि‍र कि‍स्‍सा।

भूल गया कि यही कति‍कवा
कतल कि‍हि‍स हजारन कै
पेट पे पत्‍थर रख के भइया
सुना तनी जि‍उजारन कै।

सुना तनी जिउजारन कै
कि कैसे माल उड़ावैं
काला करि‍खा केतना कै धन
बांट बांट के खावैं।

बैंक के बाबू खोलैं खाता
कुछ अइसा समझावैं
आए करि‍या ओढ़ लबादा
पइसा भाग जगावैं।

रोटी मि‍लै कि दूनौ टाइम
पूछै पे पछतावैं
जि‍उजारन का जि‍ताए दि‍हा अब
भूत भबि‍स्‍स बतावैं।

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